383. यीशु के जीवन के लिए हमारे नश्वर मांस में प्रकट होना (2 कुलुस्सियों 4:8-11)
2 कुलुस्सियों 1:8-9, 2 कुलुस्सियों 7:5, फिलिप्पियों 3:10-11, रोमियों 8:17-18, 35-36, 2 कुलुस्सियों 4:16-18

सुसमाचार का प्रचार करते हुए पॉल को मौत का सामना करना पड़ा।(2 कुलुस्सियों 1:8-9, 2 कुलुस्सियों 7:5)

2 कुलुस्सियों 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ्य से बाहर था, यहाँ तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।
9 वरन् हमने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की सजा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन् परमेश्‍वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।

2 कुलुस्सियों 7:5 क्योंकि जब हम मकिदुनिया में आए, तब भी हमारे शरीर को चैन नहीं मिला, परन्तु हम चारों ओर से क्लेश पाते थे; बाहर लड़ाइयाँ थीं, भीतर भयंकर बातें थी।

लेकिन पॉल ने मसीह के कष्टों में साझा करने के लिए आनन्दित किया।(फिलिप्पियों 3:10-11)

फिलिप्पियों 3:10 ताकि मैं उसको और उसके पुनरुत्थान की सामर्थ्य को, और उसके साथ दुःखों में सहभागी होने के मर्म को जानूँ, और उसकी मृत्यु की समानता को प्राप्त करुँ।
11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुँचूँ।

यहां तक कि अगर हम सुसमाचार के लिए मर जाते हैं, तो हम मसीह की तरह पुनर्जीवित हो जाएंगे।(2 कुलुस्सियों 4:8-11)

2 कुलुस्सियों 4:8 हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरनहार शरीर में प्रगट हो।

कुछ भी हमें मसीह के प्यार से अलग नहीं कर सकता।(रोमियों 8:35-36)

रोमियों 8:35 कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
36 जैसा लिखा है, “तेरे लिये हम दिन भर मार डाले जाते हैं; हम वध होनेवाली भेड़ों के समान गिने गए हैं।”

सुसमाचार की खातिर वर्तमान कष्टों की तुलना उस महिमा के साथ नहीं की जा सकती है जिसे हम भविष्य में प्राप्त करेंगे।(2 कुलुस्सियों 4:16-18, रोमियों 8:17-18)

2 कुलुस्सियों 4:16 इसलिए हम साहस नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तो भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
17 क्योंकि हमारा पल भर का हलका सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्‍पन्‍न करता जाता है।
18 और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएँ थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएँ सदा बनी रहती हैं।

रोमियों 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन् परमेश्‍वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब हम उसके साथ दुःख उठाए तो उसके साथ महिमा भी पाएँ।
18 क्योंकि मैं समझता हूँ, कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं।