510. सत्य का ज्ञान, मसीह (2 तीमुथियुस 3:6-7)

2 तीमुथियुस 3:6 इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरों में दबे पाँव घुस आते हैं और उन दुर्बल स्त्रियों को वश में कर लेते हैं, जो पापों से दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7 और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहचान तक कभी नहीं पहुँचतीं।

बाइबल का अध्ययन करने से सच्चाई का ज्ञान नहीं होता है।हमें सीखना चाहिए कि यीशु बाइबल के माध्यम से मसीह है। (यूहन्ना 14:6, यूहन्ना 8:32, 1 तीमुथियुस 2:4-6)

यूहन्ना 14:6 यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।

यूहन्ना 8:32 और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”

1 तीमुथियुस 2:4 जो यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली-भाँति पहचान लें।
5 क्योंकि परमेश्‍वर एक ही है, और परमेश्‍वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है,
6 जिसने अपने आप को सबके छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उसकी गवाही ठीक समयों पर दी जाए।