809. मसीह, ईश्वर से मिलने का एकमात्र तरीका (निर्गमन 33:18-23)
रोमियों 3:23, 1 तीमुथियुस 6:16, यूहन्ना 1:18, 14:6

यहां तक कि मूसा सीधे भगवान से नहीं मिल सकता था।(निर्गमन 33:18-23)

निर्गमन 33:18 उसने कहा, “मुझे अपना तेज दिखा दे।”
19 उसने कहा, “मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई दिखाऊँगा, और तेरे सम्मुख यहोवा नाम का प्रचार करूँगा, और जिस पर मैं अनुग्रह करना चाहूँ उसी पर अनुग्रह करूँगा, और जिस पर दया करना चाहूँ उसी पर दया करूँगा।”
20 फिर उसने कहा, “तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता।”
21 फिर यहोवा ने कहा, “सुन, मेरे पास एक स्थान है, तू उस चट्टान पर खड़ा हो;
22 और जब तक मेरा तेज तेरे सामने होकर चलता रहे तब तक मैं तुझे चट्टान के दरार में रखूँगा, और जब तक मैं तेरे सामने होकर न निकल जाऊँ तब तक अपने हाथ से तुझे ढाँपे रहूँगा;
23 फिर मैं अपना हाथ उठा लूँगा, तब तू मेरी पीठ का तो दर्शन पाएगा, परन्तु मेरे मुख का दर्शन नहीं मिलेगा।”

हमारे पूर्वज एडम के पाप के कारण, सभी लोग पापी हैं और ईश्वर से नहीं मिल सकते।(रोमियों 5:12, रोमियों 5:14, 1 कुलुस्सियों 15:22, रोमियों 3:23)

रोमियों 5:12 इसलिए जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया।

रोमियों 5:14 तो भी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्होंने उस आदम, जो उस आनेवाले का चिह्न है, के अपराध के समान पाप न किया।

1 कुलुस्सियों 15:22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे।

रोमियों 3:23 इसलिए कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित है,

किसी ने कभी भगवान को नहीं देखा।(1 तीमुथियुस 6:16)

1 तीमुथियुस 6:16 और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा और न कभी देख सकता है। उसकी प्रतिष्ठा और राज्य युगानुयुग रहेगा। आमीन।

यीशु परमेश्वर से मिलने का एकमात्र तरीका है।(यूहन्ना 14:6, यूहन्ना 1:18)

यूहन्ना 14:6 यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।

यूहन्ना 1:18 परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।