2 Thessalonians (mai)

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482. परमेश् वरक धार्मिक न्याय मे महिमामंडन करबाक प्रमाण – संत सभक धैर्य आ विश्वास (2 थिस्सलुनीकियों 1:4-10)

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सताओल गेल संत सभक दृढ़ता आ विश्वास एहि बातक प्रमाण अछि जे ओ सभ परमेश् वरक धार्मिक न्याय मे महिमामंडित होयत। (2 थिस्सलुनीकियों 1:4-5) जखन यीशु आबि जेताह, तखन जे सभ ई नहि मानैत छथि जे यीशु मसीह छथि, हुनका सजा देल जेतनि, आ संत लोकनि परमेश् वरक महिमा मे भाग लेताह। (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-10)

483. ओहि दिनक लेल अहाँ सभ केँ कियो कोनो तरहेँ धोखा नहि दियौक (2 थिस्सलुनीकियों 2:1-12)

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किछु गोटे संत सभ केँ धोखा दैत छथि जे प्रभु पहिने सँ घुरि गेल छथि। (2 थिस्सलुनीकियों 2:1-2) लेकिन प्रभु मसीह विरोधी के प्रकट होय के बाद आबै छै। (2 थिस्सलुनीकियों 2:3) जखन मसीह विरोधी सक्रिय भ’ जेताह, तखन ओ लोक सभ केँ बहुत शक्ति सँ लोभौताह जे ओ सुसमाचार सुनबा सँ रोकत जे यीशु […]

484. तेँ भाइ लोकनि, ठाढ़ रहू आ ओहि परंपरा केँ पकड़ू जे अहाँ सभ केँ सिखाओल गेल छल, चाहे ओ शब्द सँ हो वा हमरा सभक पत्र सँ। (2 थिस्सलुनीकियों 2:15)

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1 कुरिन्थियों 15:3, इफिसियों 3:2-4, प्रेरितों के काम 9:22, प्रेरितों के काम 17:2-3, प्रेरितों के काम 18:4-5 पौलुस थिस्सलुनीकियों के विश्वासी सिनी कॅ कहलकै कि पौलुस जे सिखाबै छै ओकरा शब्दों में रखना आ चिट्ठी-पत्र। (2 थिस्सलुनीकियों 2:15, 1 कुरिन्थियों 15:3, इफिसियों 3:2-4) पौलुस लोग सिनी कॅ गवाही देलकै कि यीशु वू मसीह छेकै जेकरा […]